लगा के आग शहर को, ये बादशाह ने कहा उठा है दिल में तमाशे का आज शौक़ बहुत झुका के सर को सभी शाह-परस्त बोल उठे हुज़ूर शौक़ सलामत रहे, शहर और बहुत ! इस लेख के उपलिखित शीर्षक को पढ़ कर घबराइए नहीं, क्योंकि यह एक व्यंग्य है, पर ...
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।- कबीरदास The commentators and influencers in this country have started writing the epitaph of the Congress party. They have all ...
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